May3 ख़फ़ा Posted on May 3, 2015 by anutoolika Standard ये जो सुन लेते हो तुम हर लम्हा बिन कहे धड़कनें सभी मेरी और धीमे से फुसफुसाते हो- ना जाने कितनी अनकही वो तेरी अब जो मुझसे करें है बात कभी मैं झिड़क के उन्हें चल देती हूँ । जो मिल जाए कहीं नज़र मेरी तुम्हे बता देंगी- आज कितने ख़फ़ा हैं तुमसे हम ! Share this:TwitterFacebookEmailWhatsAppPrintLinkedInLike Loading... Related