ख़फ़ा

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ये जो सुन लेते हो तुम हर लम्हा
बिन कहे धड़कनें सभी मेरी
और धीमे से फुसफुसाते हो-
ना जाने कितनी अनकही वो तेरी
अब जो मुझसे करें है बात कभी
मैं झिड़क के उन्हें चल देती हूँ ।

जो मिल जाए कहीं नज़र मेरी
तुम्हे बता देंगी-
आज कितने ख़फ़ा हैं तुमसे हम !

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