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22 April 2014
हम अकेले ही चले थे
लोग जुड़ते चल दिए
राह मुश्किल क्या रहे
जब कारवां बढ़ता गया…..

जुटते लोगों के सुरों की
आदतें होती गयीं
शोर भी उम्दा लगे अब
भीड़ भी आगोश सी

चल ना देना राह से हट
मोड़ जो कोई मिले
हो अनेकों लोग लेकिन
आदतें “हर एक” की

Karvan

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